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नज़्म - उदासी ऐसे वैसे नहीं महबूब जैसे रखता हूँ मै

नज़्म - उदासी
ऐसे वैसे नहीं महबूब जैसे रखता हूँ
 मैं उदासी अपने चेहरे पे रखता हूँ ।
ख़ुशी सब कुछ भुला के है जाती
उसे आँखों में छुपा के रखता हूँ । 
उदासी के साथ इक उम्र है काँट ली
मैं बेग़म को अपने दिल में रखता हूँ । 
उदासी ने ज़िन्दगी की जगह है ले ली
शतरंज  में भी रानी अलग से रखता हूँ । 
लहज़े में अंदर तक उतर गयी है उदासी
लपेट कर ऊन सी खुद में बाते रखता हूँ । 
रेज़ा-रेज़ा चढ़ गयी  ये ख़ुमारी मुझ में
बोसा - बोसा उदासी के माथे रखता हूँ । 
उदासी ने रख्खे है बहुत रोज़े मेरे लिए 
सोचो आज के दौर में भी नेमते रखता हूँ । 
अंधेरे  में  साया भी जुदा होता है न 
उदासी अंधेरे को मुँह चिढ़ाने रखता हूँ ।
दिन से थक कर चूर होता हूँ शाम में
बिस्तर पर उदासी सिरहाने रखता हूँ । 
पीता नहीं शराब पर पिलाता हूँ सबको 
उदासी वाली शराब के मैख़ाने रखता हूँ । 
 राम ने बख़्शी है ये मिलकियत मुझको 
बेकार होके भी उदासी पाले रखता हूँ । 
उदासी उदासी उदासी  कई तय उदासी
इस अदने से सतिन्दर में छुपाये रखता हूँ । 

©️✍️ सतिन्दर पूरी नज़्म उदासी 
नज़्म - उदासी

ऐसे वैसे नहीं महबूब जैसे रखता हूँ
 मैं उदासी अपने चेहरे पे रखता हूँ ।

ख़ुशी सब कुछ भुला के है जाती
उसे आँखों में छुपा के रखता हूँ ।
नज़्म - उदासी
ऐसे वैसे नहीं महबूब जैसे रखता हूँ
 मैं उदासी अपने चेहरे पे रखता हूँ ।
ख़ुशी सब कुछ भुला के है जाती
उसे आँखों में छुपा के रखता हूँ । 
उदासी के साथ इक उम्र है काँट ली
मैं बेग़म को अपने दिल में रखता हूँ । 
उदासी ने ज़िन्दगी की जगह है ले ली
शतरंज  में भी रानी अलग से रखता हूँ । 
लहज़े में अंदर तक उतर गयी है उदासी
लपेट कर ऊन सी खुद में बाते रखता हूँ । 
रेज़ा-रेज़ा चढ़ गयी  ये ख़ुमारी मुझ में
बोसा - बोसा उदासी के माथे रखता हूँ । 
उदासी ने रख्खे है बहुत रोज़े मेरे लिए 
सोचो आज के दौर में भी नेमते रखता हूँ । 
अंधेरे  में  साया भी जुदा होता है न 
उदासी अंधेरे को मुँह चिढ़ाने रखता हूँ ।
दिन से थक कर चूर होता हूँ शाम में
बिस्तर पर उदासी सिरहाने रखता हूँ । 
पीता नहीं शराब पर पिलाता हूँ सबको 
उदासी वाली शराब के मैख़ाने रखता हूँ । 
 राम ने बख़्शी है ये मिलकियत मुझको 
बेकार होके भी उदासी पाले रखता हूँ । 
उदासी उदासी उदासी  कई तय उदासी
इस अदने से सतिन्दर में छुपाये रखता हूँ । 

©️✍️ सतिन्दर पूरी नज़्म उदासी 
नज़्म - उदासी

ऐसे वैसे नहीं महबूब जैसे रखता हूँ
 मैं उदासी अपने चेहरे पे रखता हूँ ।

ख़ुशी सब कुछ भुला के है जाती
उसे आँखों में छुपा के रखता हूँ ।