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महफिल शेरों शायरी की थी, अपने अपने ज़ज्बात को गले

महफिल शेरों शायरी की थी, 
अपने अपने ज़ज्बात को गले लगाए
एक से एक कसीदा पढ़ा जा रहा था.
उसने मेरी तरफ देखा और पूछा _
आज भी क्या तुम याद करती हो उसको
प्रश्न  बेहद साधारण था, उत्तर भी शायद
मैंने "हाँ को हाँ करने की" कोशिश की
टालते हुए कहा_ताउम्र कुछ होता है भला

©Rumaisa #lovequotes #taumra
महफिल शेरों शायरी की थी, 
अपने अपने ज़ज्बात को गले लगाए
एक से एक कसीदा पढ़ा जा रहा था.
उसने मेरी तरफ देखा और पूछा _
आज भी क्या तुम याद करती हो उसको
प्रश्न  बेहद साधारण था, उत्तर भी शायद
मैंने "हाँ को हाँ करने की" कोशिश की
टालते हुए कहा_ताउम्र कुछ होता है भला

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rumaisa9249

Rumaisa

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