महफिल शेरों शायरी की थी, अपने अपने ज़ज्बात को गले लगाए एक से एक कसीदा पढ़ा जा रहा था. उसने मेरी तरफ देखा और पूछा _ आज भी क्या तुम याद करती हो उसको प्रश्न बेहद साधारण था, उत्तर भी शायद मैंने "हाँ को हाँ करने की" कोशिश की टालते हुए कहा_ताउम्र कुछ होता है भला ©Rumaisa #lovequotes #taumra