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मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता धड़कते दिल में क्या

मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता

बहते आँखों से आंसू, या लब खिलखिलाते
या दोनों के संगम का, एक साथ एहसास होता

करते ढेर सारी बातें, या चुप मुस्कुराते
चलते साथ साथ और हाथो में हाथ होता

रुकते फिर बहाने से, देखने को आखें
निगाहों ही निगाहों में, उमड़ता वो प्यार होता

बैठ कर कही, सीने से तेरे लग जाते
रुक जाए अब पल यही, ऐसा विचार होता

मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता । written by - अज्ञात
मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता

बहते आँखों से आंसू, या लब खिलखिलाते
या दोनों के संगम का, एक साथ एहसास होता

करते ढेर सारी बातें, या चुप मुस्कुराते
चलते साथ साथ और हाथो में हाथ होता

रुकते फिर बहाने से, देखने को आखें
निगाहों ही निगाहों में, उमड़ता वो प्यार होता

बैठ कर कही, सीने से तेरे लग जाते
रुक जाए अब पल यही, ऐसा विचार होता

मिलते अगर हम तो क्या एहसास होता
धड़कते दिल में क्या क्या ज़ज़्बात होता । written by - अज्ञात
rajeshverma1901

Rajesh Verma

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