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.......मैनें....... खुद को सच्चा मित्र बनाकर

      .......मैनें.......
खुद को सच्चा मित्र बनाकर
खुद को खुद में छुपा लिया
जब अपनों से ठोकर खाया 
अपनों से खुद को चुरा लिया
हर बात ही खुद से करता हूं
ख्वाबों में खूब विचरता हूं
कोई आस प्यास संताप नही
उस कैद से खुद को छुड़ा लिया
खुद को सच्चा.....
मन मंद मंद मुसुकता हूं
अपना ही गीत सुनाता हूं
ना कोई तड़पन धड़कन में
यहसानों से मन घुमा लिया
खुद को सच्चा.....
ना अश्कों का सैलाब है अब
प्रभु चरणों की आस है अब
मैं "सूर्य" उदय हो ढलता हूं
चित चंचल को भी बुला लिया
खुद को सच्चा.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #खुद_को  Kanchan Pathak Utkrisht Kalakaari भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Sethi Ji Ashutosh Mishra