रूठना, नाराज़ होना हक है आपका पर; मनाना भी हक है हमारा । जानलो साहिबा की आपका ये रूठना आपसे ज़्यादा हमे तकलीफ देता है । जान हो आप हमारी अगर जान ही रूठ जाए तो हम में सांस कहा बाकी रहेगी । साहिबा रुठलो, थोड़ा नाराज़ हो जाओ पर थोड़ी देर तक, पर ये सोचना जरूर कोई इस नाराज़गी को भी आपका प्यार समझता है । #thelove