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सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो

सपनों का महल

सपनों का एक महल बना था,
पलकों में जो मेरे सजा था।
बिखर न जाए कहीं पत्तों सा,
ऐसा मेरे मन में रमा था।

हर पल को ही पिरोया मैंने,
बीज को उसके बोया मैंने।
पाऊँ सफलता आगे चलकर,
गीत यही गुनगुनाया मैंने।

अच्छे से सब कुछ चल रहा था,
मगन मैं भी अब झूम रहा था।
देख रहा जो महल सपनों का,
उसे ही अब मैं ढूंँढ़ रहा था।

आँखें खुलीं तो मैंने पाया,
महल सपनों का बिखरा पाया।
हर एक सपना उजड़ चुका था,
देख खुद को ही बेबस पाया।

सपनों का एक महल बना था,
पलकों में जो मेरे सजा था।
बिखर गया वो कहीं पत्तों सा,
जो की मेरे मन में रमा था।
.......................................
देवेश दीक्षित

©Devesh Dixit 
  #सपनों_का_महल #nojotohindi #nojotohindipoetry 

सपनों का महल

सपनों का एक महल बना था,
पलकों में जो मेरे सजा था।
बिखर न जाए कहीं पत्तों सा,
ऐसा मेरे मन में रमा था।
deveshdixit4847

Devesh Dixit

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#सपनों_का_महल #nojotohindi #nojotohindipoetry सपनों का महल सपनों का एक महल बना था, पलकों में जो मेरे सजा था। बिखर न जाए कहीं पत्तों सा, ऐसा मेरे मन में रमा था। #Poetry #sandiprohila

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