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तेरे हुस्न-ए-बहार के आगे चांँदनी के जलवे भी फिके ल

तेरे हुस्न-ए-बहार के आगे चांँदनी के जलवे भी फिके लगते हैं,
तुम हो गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाजुक पर बड़े चंचल लगते हो।

तेरे रुखसार की ताजगी खिले कंवल की ताजगी से भी ज्यादा है,
तुम हो मद मस्त हवा के झोंके से पर मुझको काली घटा लगते हो।

मेरी जिंदगी से वीरानियों को मिटा कर तुमने महफिलें सजा दी है,
मेरी तन्हा महफिल की जान हो तुम मुझको मेरी जिंदगी लगते हो।

मैं गर साज हूँ तो तुम हो मेरी रागिनी मैं रात हूँ तो तुम हो मेरी चांँदनी,
जीवन भर जिसे मैं गुनगुनाना चाहता हूंँ मुझको तुम वो ग़ज़ल लगते हो,

खुदा से हर पल हमने इबादत और मन्नत में तुझको ही मांगा है,
मेरी जिंदगी रोशन है जिसके नूर से तुम खुदा का वो करम लगते हो।
 ♥️ Challenge-633 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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तेरे हुस्न-ए-बहार के आगे चांँदनी के जलवे भी फिके लगते हैं,
तुम हो गुलाब की पंखुड़ियों से भी नाजुक पर बड़े चंचल लगते हो।

तेरे रुखसार की ताजगी खिले कंवल की ताजगी से भी ज्यादा है,
तुम हो मद मस्त हवा के झोंके से पर मुझको काली घटा लगते हो।

मेरी जिंदगी से वीरानियों को मिटा कर तुमने महफिलें सजा दी है,
मेरी तन्हा महफिल की जान हो तुम मुझको मेरी जिंदगी लगते हो।

मैं गर साज हूँ तो तुम हो मेरी रागिनी मैं रात हूँ तो तुम हो मेरी चांँदनी,
जीवन भर जिसे मैं गुनगुनाना चाहता हूंँ मुझको तुम वो ग़ज़ल लगते हो,

खुदा से हर पल हमने इबादत और मन्नत में तुझको ही मांगा है,
मेरी जिंदगी रोशन है जिसके नूर से तुम खुदा का वो करम लगते हो।
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