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#internationalmensday ©Dead Man Walking आज विश्व

#internationalmensday

©Dead Man Walking आज विश्व पुरुष दिवस है। विडंबना के साथ-साथ विश्व शौचालय दिवस  भी है। अब आप समझ सकते हैं कि पुरुष कितने दुखी होते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि पुरुष प्रधान समाज शब्द की आड़ में कितने पुरुषों को दंडित किया जाता है। लेकिन असली परेशानी पुरुषों की है। सबसे विकट समस्या पुरुषों की होती है । जब टीवी धारावाहिकों में बहू की चौथी शादी की विदाई पर महिलाएं भावुक हो रही होती है , तो पुरुष स्वयं के मन से द्वंद करता है । सोने की कीमतें गिरती हैं या शॉपिंग की कीमतें घटती या बढ़ती हैं, इसका असर पुरुषों पर होता है। अगर कहीं चुनाव हैं,तो समस्या को समझना और यदि अन्य समय क्षेत्र में ipl मैच हों, तो रातों की नींद उड़ जाती है। इतना ही नहीं, पुरुषों को हर कदम पर समझौता करना पड़ता है।अपने अरमानों का गला घोंटना पड़ता है। कभी-कभी सही फिटिंग के कपड़े नहीं मिलते, न ही सही रंग के जूते। लाख मन बना लें लेकिन अंत में काले जूते ले आएं और चेक शर्ट की देखरेख करेंगे। उन पर हुए जुल्म के इंतजार को देखिए, चाहे कोई आदमी 104 डिग्री बुखार के साथ बस या ट्रेन में खड़ा हो, कोई उसे सीट नहीं देता। अगर एक ही आदमी एक अच्छी महिला के लिए सीट नहीं छोड़ता है, तो दुनिया खाने की नज़र से घूरती है। कभी किसी महिला को बीमार आदमी के लिए सीट छोड़ते देखा है? यहां तक ​​कि प्रकृति ने भी हमारे साथ कम अन्याय नहीं किया है। हमें काले रंग का कलूटा बना देती है। जब एक साथ खरीदारी करने गई पत्नी या प्रेमिका बेबी पिंक, टॉर्चर,कपड़ो , सैल्मन में डूब जाती है, तो आँखें कहीं न कहीं लाल-नीला खोजती हैं कि कुछ मेरे लिए भी हो परन्तु नही मिलता। खाना बनाते समय महिलाओं से पूछें कि दो आदमी बनाने के लिए चावल कितना है। मुझे कितना पानी जोड़ना चाहिए, मुझे कब तक खाना पकाना चाहिए? तो जवाब आता है, चार मुट्ठी चावल,हिसाब  से पानी और एक सीटी। अब, यदि आप चावल पकाने के लिए जाते हैं न कि चावल को जलाने के लिए न तो सीटी को उड़ जाती है । गरीब आदमी किसी से दुश्मनी भी नहीं करते। इसके विपरीत, महिलाए दूसरी महिला की छाया से भी बचती है, जो उसकी उम्र पूछती है या उसकी तरह कान की बाली पहनती है,जबकि पुरुष अपनी शर्ट पहने हुए किसी व्यक्ति को देखता है तो वह कुंभ में अलग हुए भाई की तरह हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महिला का सबसे बड़ा दुश्मन एक महिला है, लेकिन सच्चाई यह है कि पुरुषों का सबसे बड़ा दुश्मन खुद पुरुष है। वे सभी पुरुष सभी पाप के भागीदार है जो पुरुष दिवस पर चार पँक्ति नही लिख पाते 🙄

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©Dead Man Walking आज विश्व पुरुष दिवस है। विडंबना के साथ-साथ विश्व शौचालय दिवस  भी है। अब आप समझ सकते हैं कि पुरुष कितने दुखी होते हैं। कोई फर्क नहीं पड़ता कि पुरुष प्रधान समाज शब्द की आड़ में कितने पुरुषों को दंडित किया जाता है। लेकिन असली परेशानी पुरुषों की है। सबसे विकट समस्या पुरुषों की होती है । जब टीवी धारावाहिकों में बहू की चौथी शादी की विदाई पर महिलाएं भावुक हो रही होती है , तो पुरुष स्वयं के मन से द्वंद करता है । सोने की कीमतें गिरती हैं या शॉपिंग की कीमतें घटती या बढ़ती हैं, इसका असर पुरुषों पर होता है। अगर कहीं चुनाव हैं,तो समस्या को समझना और यदि अन्य समय क्षेत्र में ipl मैच हों, तो रातों की नींद उड़ जाती है। इतना ही नहीं, पुरुषों को हर कदम पर समझौता करना पड़ता है।अपने अरमानों का गला घोंटना पड़ता है। कभी-कभी सही फिटिंग के कपड़े नहीं मिलते, न ही सही रंग के जूते। लाख मन बना लें लेकिन अंत में काले जूते ले आएं और चेक शर्ट की देखरेख करेंगे। उन पर हुए जुल्म के इंतजार को देखिए, चाहे कोई आदमी 104 डिग्री बुखार के साथ बस या ट्रेन में खड़ा हो, कोई उसे सीट नहीं देता। अगर एक ही आदमी एक अच्छी महिला के लिए सीट नहीं छोड़ता है, तो दुनिया खाने की नज़र से घूरती है। कभी किसी महिला को बीमार आदमी के लिए सीट छोड़ते देखा है? यहां तक ​​कि प्रकृति ने भी हमारे साथ कम अन्याय नहीं किया है। हमें काले रंग का कलूटा बना देती है। जब एक साथ खरीदारी करने गई पत्नी या प्रेमिका बेबी पिंक, टॉर्चर,कपड़ो , सैल्मन में डूब जाती है, तो आँखें कहीं न कहीं लाल-नीला खोजती हैं कि कुछ मेरे लिए भी हो परन्तु नही मिलता। खाना बनाते समय महिलाओं से पूछें कि दो आदमी बनाने के लिए चावल कितना है। मुझे कितना पानी जोड़ना चाहिए, मुझे कब तक खाना पकाना चाहिए? तो जवाब आता है, चार मुट्ठी चावल,हिसाब  से पानी और एक सीटी। अब, यदि आप चावल पकाने के लिए जाते हैं न कि चावल को जलाने के लिए न तो सीटी को उड़ जाती है । गरीब आदमी किसी से दुश्मनी भी नहीं करते। इसके विपरीत, महिलाए दूसरी महिला की छाया से भी बचती है, जो उसकी उम्र पूछती है या उसकी तरह कान की बाली पहनती है,जबकि पुरुष अपनी शर्ट पहने हुए किसी व्यक्ति को देखता है तो वह कुंभ में अलग हुए भाई की तरह हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि महिला का सबसे बड़ा दुश्मन एक महिला है, लेकिन सच्चाई यह है कि पुरुषों का सबसे बड़ा दुश्मन खुद पुरुष है। वे सभी पुरुष सभी पाप के भागीदार है जो पुरुष दिवस पर चार पँक्ति नही लिख पाते 🙄

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