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सोचते है सुबह कब होगी सुबह हो गई अब शाम कब होगी ऐ

सोचते है सुबह कब होगी
सुबह हो गई
अब शाम कब  होगी
ऐसे ही करते. करते 
अपना लक्ष्य भूल जाते है
यही खुद की सच्चाई हैं
writer to asleem सोच मत बदलो नजरिया बदलो
सोचते है सुबह कब होगी
सुबह हो गई
अब शाम कब  होगी
ऐसे ही करते. करते 
अपना लक्ष्य भूल जाते है
यही खुद की सच्चाई हैं
writer to asleem सोच मत बदलो नजरिया बदलो