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मर गई है रूह जिनकी , ज़िस्म है बस नाम का, जिसमें

 मर  गई  है रूह जिनकी , ज़िस्म है बस नाम का,
जिसमें इंसानियत न हो,वो इंसान किस काम का,

रँग लहू का एक है, ज़िस्म एक माटी से बना हुआ,
क्यूँ धर्म और जातिवाद की ,कीचड़ से सना हुआ।।

©poonam atrey
  #इंसानियत 
#इंसानियत_भूलता_इंसान