मेरी माँ 😘 देख तेरे बागीयां मे सारे फुल मुर्झाये है, एक तु ही नही जो नैनन तरस खुद को सिच रहे है, सहमी सी हु जिम्मेदारीयो मे जकडी सी हू!! माँ चलते -चलते यू ही फफ़क पड़तीहू !2! खुदा से भी सिकायत है, सबसे अनमोल मेरी माँ को ही छीन ली, इंसान बना के बे जान कर दी, माँ का जो छाया था लाड -प्यार का दरिया था, कर दिया पल भर मे बंजर मेरी खुशियो को ओझल, अब ले भी ले एंत्यहान मर्जी ज़ो तेरी छाई है, मैने भी कुछ प्रण ली है तुझे मात देने की , माँ चलते -चलते यू ही फफ़क पड़तीहू !2! देख तेरे बागीयां मे सारे फुल मुर्झाये है, एक तु ही नही जो नैनन तरस खुद को सिच रहे है, सहमी सी हु जिम्मेदारीयो मे जकडी सी हू!!