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" तुम से दोस्ती कर लूं क्या , कुछ बात अनसुनी अनकही

" तुम से दोस्ती कर लूं क्या ,
कुछ बात अनसुनी अनकही हैं ,
कहीं वो तुझसे कह दूं क्या ,
जिक्र करु जाहिर करु इसे कौन सी मंजिल देकर छोड़ दूं ,
हैं अब ये तेरे हाथों में सह दे या फिर इस बेरुखी का कोई दर्द दे ."

                                           --- रबिन्द्र राम " तुम से दोस्ती कर लूं क्या ,
कुछ बात अनसुनी अनकही हैं ,
कहीं वो तुझसे कह दूं क्या ,
जिक्र करु जाहिर करु इसे कौन सी मंजिल देकर छोड़ दूं ,
हैं अब ये तेरे हाथों में सह दे या फिर इस बेरुखी का कोई दर्द दे ."

                                           --- रबिन्द्र राम 
#दोस्ती #अनकही
" तुम से दोस्ती कर लूं क्या ,
कुछ बात अनसुनी अनकही हैं ,
कहीं वो तुझसे कह दूं क्या ,
जिक्र करु जाहिर करु इसे कौन सी मंजिल देकर छोड़ दूं ,
हैं अब ये तेरे हाथों में सह दे या फिर इस बेरुखी का कोई दर्द दे ."

                                           --- रबिन्द्र राम " तुम से दोस्ती कर लूं क्या ,
कुछ बात अनसुनी अनकही हैं ,
कहीं वो तुझसे कह दूं क्या ,
जिक्र करु जाहिर करु इसे कौन सी मंजिल देकर छोड़ दूं ,
हैं अब ये तेरे हाथों में सह दे या फिर इस बेरुखी का कोई दर्द दे ."

                                           --- रबिन्द्र राम 
#दोस्ती #अनकही