-: एक गुज़ारिश (Part 2) :- मिलना है तुझसे कुछ इस तरह कि खुद को ही खो दूँ, दिल करता है कि तुझे गले लगाकर जी भर के रो दूँ, नहीं देखा जाता तुझे खुद से दूर तू ही बता मैं क्या करूं, डरता हूँ कि तुझे खो दूँगा आखिर कब तक तेरा इंतज़ार करूं, इस कलम से सुबह शाम मैंने बस तुझे ही तो लिखा है, ज़रा महसूस कर इन साँसों को इन पर तेरा ही तो नाम लिखा है, सुन के देख इन धड़कनों को इन्हें कितनी बेसब्री से तेरा इंतज़ार है, एक बार नज़रें मिलाकर कह दे न कि तुझे भी मुझसे प्यार है। एक गुज़ारिश... (Part -2) #thoughtsofakumar #mypoetry #love #unsaidfeelings #ankahejazbaat