उपराष्ट्रपति एम विवेकनायडू कि बीते दिनों में कार्यक्रम में शिक्षा के मैकेनिक प्रणाली की पूरी तरह से खरीद करने का आह्वान करते हुए कहा कि इस देश में शिक्षा के माध्यम से रूप में एक विदेशी नीति को था वह कर शिक्षा को अभिजात वर्ग तक सीमित कर दिया जाए इसमें हमें अपनी संस्कृत पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया इससे एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया गया समाज का एक छोटा वर्ग शिक्षा के अधिकार से एक विशाल आबादी को वंचित कर रहा है लिहाज हमें इस स्थिति को बदलना होगा एक समय था जब भारत छोटी-छोटी राजनीतिक इकाइयों में बटा हुआ था बावजूद निरंतर प्रगति कर रहा था गुरुकुल ओ की माध्यम से व्यक्ति निर्माण की सीट परंपरा इनका प्रमुख कारण था वही व्यवस्था समाज को स्वस्थ और सक्रिय बनाने में पूर्ण सक्षम थी मगर अंग्रेजी शासनकाल में लॉर्ड मैकाले ने योजनाबद्ध पद्धति से भारतीयों को जोड़कर काटकर उन्हें मानसिक रूप से गुलाम बनाया अंग्रेजी ने अपने तरीके से भारतीयों को कुछ पाठ पढ़ाया जिसमें पहला पाठ था कि आप कौन है आप में हैं जिन्होंने भारत पर सबसे पहले कब्जा लिया हम वह हैं जिन्होंने सबसे अंत में कब्जा किया दूसरा पाठ पढ़ाया तो एक हिंदू और मुस्लिम जो कभी एक नहीं हो सकते उन्होंने यह बोलने की कोशिश की है कि हम 1:00 बजे मां के बच्चे तीसरा पाठ उन्होंने पड़ा कि भारत में पहली जंगली गवार लोग रहते थे कला और संस्कृति का विकास हमारी वजह से हुआ इस तरह अब हम में जो सिखाएगा वही तुम्हारे लिए उपयोगी है तुम्हारा अपना अस्तित्व कुछ नहीं है दुर्भाग्य से की आजादी के 75 वर्ष के बाद भी अभी भी हम इस सत्य मानकर बढ़ते चले जा रहे हैं इसे हम आमूलचूल परिवर्तन करना होगा अध्ययन को कर्तव्य और सेवा भाव के रूप में अपनाना होगा ©Ek villain #आवश्यक है शिक्षा का भारतीय करण #Hope