कौन हो तुम मेरे मन की वीणा को छेड़ अब क्यों मौन हो तुम कभी तोला कभी मासा सच कहो कौन हो तुम (Read in caption) कौन हो तुम मेरे मन की वीणा को छेड़ अब क्यों मौन हो तुम कभी तोला कभी मासा सच कहो कौन हो तुम उतर जाते हो कभी रूह की गहराइयों में