चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप और रात के सपने ले कर फटकें मिलकर सूप धान भूसी अलग करें गुलदस्ते नए सजाएँ किसी ख़्वाब के पँखों में रंग आसमान के आएं काज़ल की सरहद से कब तक बाँधें उनकी चूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप दाँतों में ना फँसे किरिच और ज़ुबाँ ना कट जाए इतनी शिद्दत से फटकें की हर एक कौंणी हट जाए तिनका तिनका हो कुंदन हो गहरा जितना कूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप और हवा में उड़ती भूसी महके संदल शहतीरों से ताबीजों की बन कर क़ासिद करे वो सजदा पीरों से ताज़ तख़्त का छोड़ तगफुल साथ चले जो भूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप गंगा में जो वक़्त बहे डूब के सागर बन जाए संग बदरा के फारिग हो कर अम्बर पर भी तन जाए पासे ढंग बदल कर पूछें है कौन खेलता जूप चल सूरज से बात करें, ले माँग जरा सी धूप उदासियाँ 3 @ माँग जरा सी धूप ©Mo k sh K an #mokshkan #उदासियाँ_the_journey #mikyupikyu #Nojoto #Hindi