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*✍🏻“सुविचार"*✍🏻 🌟*“1/4/2021”*🌟 🖋️*“गुरुवार”*

*✍🏻“सुविचार"*✍🏻 
🌟*“1/4/2021”*🌟
🖋️*“गुरुवार”*✨🖊️

क्या “प्रेम” “नायक” और “नायिका” के 
“आकर्षण का बंधन” है ? 
“प्रेम” तो “परिवार” से हो सकता है,
“माता-पिता”,“भाई-बहन”, “सखा-मित्रों” से हो सकता है “देश” और “जन्मभूमि” के लिए हो सकता है,“मानवता” के लिए हो सकता है,किसी “कला” के लिए हो सकता है,पर “प्रेम” कभी उस “पन्ने” पर “लिखा” ही नहीं जा सकता जिसपर पहले ही बहुत कुछ “लिखा” हो,
जैसे एक “भरी मटकी” में 
और “पानी” नहीं आ सकता है,
यदि “प्रेम” को पाना है तो “मन” को खाली करना होगा,
अपनी “इच्छाएं”,अपना “सुख” 
सब “त्याग” कर समर्पण करना होगा,
अपने मन से “व्यापार” हटाना होगा तभी “प्रेम” मिलेगा,और प्रेम में तो समर्पण,सहयोग,समानता,अपनापन 
और एहसास ये सब होता है,
✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🌟*“1/4/2021”*🌟
🖋️*“गुरुवार”*✨🖊️

#“प्रेम” 

#“आकर्षण का बंधन”
*✍🏻“सुविचार"*✍🏻 
🌟*“1/4/2021”*🌟
🖋️*“गुरुवार”*✨🖊️

क्या “प्रेम” “नायक” और “नायिका” के 
“आकर्षण का बंधन” है ? 
“प्रेम” तो “परिवार” से हो सकता है,
“माता-पिता”,“भाई-बहन”, “सखा-मित्रों” से हो सकता है “देश” और “जन्मभूमि” के लिए हो सकता है,“मानवता” के लिए हो सकता है,किसी “कला” के लिए हो सकता है,पर “प्रेम” कभी उस “पन्ने” पर “लिखा” ही नहीं जा सकता जिसपर पहले ही बहुत कुछ “लिखा” हो,
जैसे एक “भरी मटकी” में 
और “पानी” नहीं आ सकता है,
यदि “प्रेम” को पाना है तो “मन” को खाली करना होगा,
अपनी “इच्छाएं”,अपना “सुख” 
सब “त्याग” कर समर्पण करना होगा,
अपने मन से “व्यापार” हटाना होगा तभी “प्रेम” मिलेगा,और प्रेम में तो समर्पण,सहयोग,समानता,अपनापन 
और एहसास ये सब होता है,
✨ *अतुल शर्मा🖋️📝📙*

©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 
🌟*“1/4/2021”*🌟
🖋️*“गुरुवार”*✨🖊️

#“प्रेम” 

#“आकर्षण का बंधन”
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Atul Sharma

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