Nojoto: Largest Storytelling Platform

मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी... मुझ

मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी...
मुझे खुद से मिलाएँगी या मुझे यूँही गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे एक नया ख्वाब दिखाएंगी या मेरे उन सपनों को चकनाचूर कर जाएंगी...
एक खिला चांद लेके आयेंगी मेरी जिन्दगी मे...या अंधेरी रातों की वो काली रात मेरी आवाज को खामोश कर जाएगी..
गुमनाम ही सही '' मैं" उन अंजान रास्ते मे... मगर ढूंढ लूँगी मंजिल
बेगुनाह होके भी सह लेती हूं दर्द..
ना जाने उन राहों मे मुझे क्यूँ मिलते है इतने मर्ज....
कुछ कर्ज तो जरूर है इन राहों का मुझपे
वरना इतना ज़ख्म क्यूँ देता वो मुफ्त मे मुझे..
थोड़ी कशिश बाकी है मुझमें मगर
थोड़ी बिखर सी भी गयी हूँ
ढूंढ लूँगी खुद को एक दिन
अभी जरा भटक सी गयी हूं
मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी
मेरे चेहरे पे सुनहरी मुस्कान लाएगी या मेरे पीठ पीछे खंजर चलाएंगी..
कुछ नूर तो जरूर है मुझमें
वरना यूहीं वो खुदा मेरा...
मेरा इतना इम्तिहाँ नहीं लेता
खूबसूरत निगाहों का तो आशिक है ज़माना
मगर उन रास्तों को ना जाने क्यूँ मेरी सादगी से बेहद मोहब्बत है..
मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी..
मुझे खुद से मिलाएँगी या यूहीं मुझे गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे पूरी दुनिया दिखाएंगी या औरों की तरह मेरी भी आजादी बंद पिंजरे मे कैद रह जाएगी..
बड़ी उलझी सी मैं हूँ उन राहों मे...मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी... ❣️
      
      - आRadhya 📝 मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी...
मुझे खुद से मिलाएँगी या मुझे यूँही गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे एक नया ख्वाब दिखाएंगी या मेरे उन सपनों को चकनाचूर कर जाएंगी...
एक खिला चांद लेके आयेंगी मेरी जिन्दगी मे...या अंधेरी रातों की वो काली रात मेरी आवाज को खामोश कर जाएगी..
गुमनाम ही सही '' मैं" उन अंजान रास्ते मे... मगर ढूंढ लूँगी मंजिल
बेगुनाह होके भी सह लेती हूं दर्द..
ना जाने उन राहों मे मुझे क्यूँ मिलते है इतने मर्ज....
कुछ कर्ज तो जरूर है इन राहों का मुझपे
मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी...
मुझे खुद से मिलाएँगी या मुझे यूँही गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे एक नया ख्वाब दिखाएंगी या मेरे उन सपनों को चकनाचूर कर जाएंगी...
एक खिला चांद लेके आयेंगी मेरी जिन्दगी मे...या अंधेरी रातों की वो काली रात मेरी आवाज को खामोश कर जाएगी..
गुमनाम ही सही '' मैं" उन अंजान रास्ते मे... मगर ढूंढ लूँगी मंजिल
बेगुनाह होके भी सह लेती हूं दर्द..
ना जाने उन राहों मे मुझे क्यूँ मिलते है इतने मर्ज....
कुछ कर्ज तो जरूर है इन राहों का मुझपे
वरना इतना ज़ख्म क्यूँ देता वो मुफ्त मे मुझे..
थोड़ी कशिश बाकी है मुझमें मगर
थोड़ी बिखर सी भी गयी हूँ
ढूंढ लूँगी खुद को एक दिन
अभी जरा भटक सी गयी हूं
मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी
मेरे चेहरे पे सुनहरी मुस्कान लाएगी या मेरे पीठ पीछे खंजर चलाएंगी..
कुछ नूर तो जरूर है मुझमें
वरना यूहीं वो खुदा मेरा...
मेरा इतना इम्तिहाँ नहीं लेता
खूबसूरत निगाहों का तो आशिक है ज़माना
मगर उन रास्तों को ना जाने क्यूँ मेरी सादगी से बेहद मोहब्बत है..
मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी..
मुझे खुद से मिलाएँगी या यूहीं मुझे गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे पूरी दुनिया दिखाएंगी या औरों की तरह मेरी भी आजादी बंद पिंजरे मे कैद रह जाएगी..
बड़ी उलझी सी मैं हूँ उन राहों मे...मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी... ❣️
      
      - आRadhya 📝 मेरी ये राहें ना जाने मुझे कहाँ लेके जाएंगी...
मुझे खुद से मिलाएँगी या मुझे यूँही गुमराह छोड़ आयेंगी
मुझे एक नया ख्वाब दिखाएंगी या मेरे उन सपनों को चकनाचूर कर जाएंगी...
एक खिला चांद लेके आयेंगी मेरी जिन्दगी मे...या अंधेरी रातों की वो काली रात मेरी आवाज को खामोश कर जाएगी..
गुमनाम ही सही '' मैं" उन अंजान रास्ते मे... मगर ढूंढ लूँगी मंजिल
बेगुनाह होके भी सह लेती हूं दर्द..
ना जाने उन राहों मे मुझे क्यूँ मिलते है इतने मर्ज....
कुछ कर्ज तो जरूर है इन राहों का मुझपे
aradhyasingh0388

Aradhya

New Creator