"स्वरचित मौलिक रचना द्वारा अनुपमा" #रूठकर अलग हुआ था वो , और तुम #मानते रहे #सूखकर गिर गया है वो ..! #मना_लो चाहता था वो , और तुम #सोचा किए बहुत #बड़ा बन गया है वो..! #रात_भर रोता था वो , और तुम समझे यही , #हंसकर तुम्हें मिला था वो..! फिर नही #लौटा था वो , और तुम #यकीं करते रहे यूं ही कहीं #खोया है वो..! ©AnuWrites@बेबाकबोल #agni