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उसकी आँखों की रोशनी से.. मेरा सवेरा रौशन होता था.

उसकी आँखों की रोशनी से.. 
मेरा सवेरा रौशन होता था.. 
उसकी पलकों के साये मे.. 
मुझे छाँव सा मिला करता था.. 

उसके होठों का रंग.. 
मेरी हर शाम गुलाबी कर जाती थी.. 
उसकी गहरी काली निगाहें.. 
मुझे सर्द रातों की ओर ले जाती थी.. 

तिश्नगी तो सिर्फ उसके साथ की थी मुझे.. 
फ़िर क्यों वो मुझे राहों पे कहीं अकेला छोड़ जाती थी!?... 

-आदित्य मिश्रा #alone क्यों हर दफ़ा मुझे तू ऐसे छोड़ जाती थी?
उसकी आँखों की रोशनी से.. 
मेरा सवेरा रौशन होता था.. 
उसकी पलकों के साये मे.. 
मुझे छाँव सा मिला करता था.. 

उसके होठों का रंग.. 
मेरी हर शाम गुलाबी कर जाती थी.. 
उसकी गहरी काली निगाहें.. 
मुझे सर्द रातों की ओर ले जाती थी.. 

तिश्नगी तो सिर्फ उसके साथ की थी मुझे.. 
फ़िर क्यों वो मुझे राहों पे कहीं अकेला छोड़ जाती थी!?... 

-आदित्य मिश्रा #alone क्यों हर दफ़ा मुझे तू ऐसे छोड़ जाती थी?