इधर देखो उधर देखो यहाँ फैली उदासी है कहीं पे सोग है तेरा कहीं मेरी उदासी है कोई मिसरा जो मैं लिखूं लगे सारा वो अफ़सुर्दा ग़ज़ल के काफिये के साथ ही बैठी उदासी है नज़र आता हूं खुश लेकिन मेरे चेहरे पे मत जाओ मेरे दिल में बहुत दिन से छुपी बैठी उदासी है फलक में चांद के जैसे , रहे मुझ में कहीं मौजूद कभी आधी कभी पौनी कभी पूरी उदासी है सदा ये मुड़ के आती है पहाड़ों से कहूँ कुछ भी तेरे हिस्से में हरदम ही उदासी ही उदासी है नहीं मैं चाहता उसको, मगर पीछे पड़ी है वो गले लग के मनाती है ,बड़ी ज़िद्दी उदासी है ख़िज़ाँ बैठी मुंडेरों पर,है सन्नाटे से लथपथ सब बिना तेरे मेरे घर में बहुत फैली उदासी है गए बाज़ार फिर से हम उदासी की दवा करने खरीदारी बहुत सी की मगर फिर भी उदासी है अफ़सुर्दा *** उदास #yqdidi #bestyqhindiquotes #विशालवैद #vishalvaid #चांद #उदासी #आधी