क्यों फिर से रूठी हैं रातें एक-दूसरे को देख रहे हैं सब क्यों नहीं कर रहे हैं बातें? एक दिया है वहाँ जो बुझना चाह रहा है नींद आ रही है उसे शायद न जाने क्यों सो नहीं पा रहा है। बारिश नहीं हो रही है बाहर फिर अंदर ये तिनका क्यों बहा जा रहा है या हो रही है मूसलाधार शायद बंद दरवाज़े के पीछे! इसलिए मुझे नज़र नहीं आ रहा है। ✍️kumar divyanshu shekhar #शायद #पहली_कविता #startedwriting #poetry #poetrylove #nojoto