बन्धन ही बन्धन बाहर से फेंकती चकाचौंध भरे जाल, भीतर से उठते अविद्या के भाव, कभी तू पकड़ता बाहर भेजकर इन्द्रियों को, कभी विषय आते स्वयं तेरे पास। एक काम कर, जागता रह, बस, देखता रह हर विषय को प्रिय मित्रों ये मेरे मस्तिष्क पटल पर अनायास उभरे विचार हैं जिन्हें मैंने without editing आपसे share कर लिया है🙏🙏 कृपया आप अपनी प्रतिक्रिया दीजिए #खुशी_रहे_हमेशा #खुशीकामंत्र खुशी का मंत्र आपको अग़र इस दुनिया में कोई सबसे ज़्यादा