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सुना था यह जमाना है, बहुत ही बेवफा कमबख्त! हमें तो

सुना था यह जमाना है, बहुत ही बेवफा
कमबख्त! हमें तो स्वजनों ने सताया है।
अपना नही यहाँ कोई, जग सारा पराया
इश्के-जंग हमने सभी को आजमाया है।
सारे अपने दुश्मन बन, वर्तमान में है गैर 
बस! इसी ख़ामोशे-सदमे ने, रूलाया है।
आखिर कैसे दूं इल्जाम, इस दुनिया को
जब खुद के लोगों ने सितम जो ढ़ाया है।
सुन्दर राजमहल के स्वजनों पर था नाज़
उन्ही लोगों ने जिगर पर कांटे चुभाया है।
इन जुल्मों-सितम से, चाह नही जीने की
पलकों ने भीगकर उम्मीददीप बुझाया है।
सुन साथी साथ मरे अमर करे प्रेम 'लैला'
'अनिल'-ए-दिल अंतिम ख़्याल आया है।

©Anil Ray खुशनुमा एहसास होता है यारों
जब हमें किसी से प्रेम होता है।
पत्थर पिघल कर लगता बोलने
जब स्वयं मन, प्रेममय होता है।
प्रिय-यौवन नही, ख्याल अच्छा
यें दिल का दिल में घर होता है।
यह बेगाना जहां अपना ही लगे
जब इंसानियत से प्रेम होता है।
सुना था यह जमाना है, बहुत ही बेवफा
कमबख्त! हमें तो स्वजनों ने सताया है।
अपना नही यहाँ कोई, जग सारा पराया
इश्के-जंग हमने सभी को आजमाया है।
सारे अपने दुश्मन बन, वर्तमान में है गैर 
बस! इसी ख़ामोशे-सदमे ने, रूलाया है।
आखिर कैसे दूं इल्जाम, इस दुनिया को
जब खुद के लोगों ने सितम जो ढ़ाया है।
सुन्दर राजमहल के स्वजनों पर था नाज़
उन्ही लोगों ने जिगर पर कांटे चुभाया है।
इन जुल्मों-सितम से, चाह नही जीने की
पलकों ने भीगकर उम्मीददीप बुझाया है।
सुन साथी साथ मरे अमर करे प्रेम 'लैला'
'अनिल'-ए-दिल अंतिम ख़्याल आया है।

©Anil Ray खुशनुमा एहसास होता है यारों
जब हमें किसी से प्रेम होता है।
पत्थर पिघल कर लगता बोलने
जब स्वयं मन, प्रेममय होता है।
प्रिय-यौवन नही, ख्याल अच्छा
यें दिल का दिल में घर होता है।
यह बेगाना जहां अपना ही लगे
जब इंसानियत से प्रेम होता है।
anilray3605

Anil Ray

Bronze Star
Growing Creator