फ़लक पर रो रहे तारे, आज चाँद ज़मीं पर आया है ا आग़ोश मे जिनकी शब गुज़ारी की, उलफ़तें सारी उनकी आज ज़ाया है ا ये मेरी छत है कोई आसमां नहीं , शायद मुहब्बत का पैग़ाम लाया है ا अरे अब बस भी कर ओ साक़ी, न जाने कितना मय पिलाया है اا फ़लक- आसमान, उलफ़त- प्यार, ज़ाया - बेकार, शब- रात, साक़ी - शराब पिलाने वाला, मय- शराब #yqurdu #yqishq #yqdidi #yqbhaijan #yqsharaab #poems #yqchand #yqquotes