गफलत की दुनियां थी सुनसान नजारा था खामोश बैठे थे मुक्कदर हमारा था गुर्ज रहा था एक दिन में कब्रिस्तान की राहों से कवरों को देखकर सोचा आखरी मुक्काम हमारा हैं। #mental_shhayer #mental_shhayer