अब ले रही है इम्तिहाँ ये ज़िंदगी, वो हौसलों से ही बढ़ाएगी मुझे। اب لے رہی ہے امتحاں یہ زندگی, وہ حوصلوں سے ہی بڑھائے گی مجھے ! है इल्म की दौलत जो मेंरे पास में, ये आसमाँ में अब उड़ाएगी मुझे। ہے علم کی دولت جو میرے پاس میں, یہ آسماں میں اب اڑائے گی مجھے ! सब साथ रहते है वतन के अपने हम, कैसे सियासत अब डराएगी मुझे। سب ساتھ رہتے ہیں وطن کے اپنے ہم, کیسی سیاست اب ڈرائیں گی مجھے! ©Akib Javed अब ले रही है इम्तिहाँ ये ज़िंदगी, वो हौसलों से ही बढ़ाएगी मुझे। اب لے رہی ہے امتحاں یہ زندگی, وہ حوصلوں سے ہی بڑھائے گی مجھے ! है इल्म की दौलत जो मेंरे पास में, ये आसमाँ में अब उड़ाएगी मुझे।