समझता है सब को ख़ुद सा हमेशा, औरों के लिए ख़ुद को भूल जाता है। ख़ुद भटका हुआ है यहाँ दर-ब-दर, पर दोस्तों को सही राह दिखाता है। कहीं कदर नहीं ज़रा, है कोई मतलबी, फरेबी दुनिया में कैसे दिल लगाता है। कैसा पागलपन है 'कुमार' सोच ज़रा, क्यों तू ख़ुद को इतना ज्यादा सताता है। @jyotii जी याद करने के लिए शुक्रिया..! तबीयत बहुत नासाज़ है, तो नहीं आ पाते ना आ पायेंगे, आपकी मोहब्बत का उम्र भर आभार दोस्तों..! #kumaarsthought #kumaardedication #सताना जियो तो दूसरों के लिए जियो अपने लिए जीना बेईमानी है!