वो पथ पर इसी उम्मीद से निकला था इंसानी बस्तियां है रास्ते में अंधेरे में रोशनी मिल जाएगी लगेगी भूख तो रोटी मिल जाएगी थकूंगा तो छांव मिल जाएगी भटकूंगा तो राह मिल जाएगी उड़ गए होश परिंदे के भी यहां धर्म की तकरार देखकर बातें हो रही है यहां तरक्की की जाति-बिरादरी और संप्रदाय देखकर।। #Manish Kumar Savita #जाति-बिरादरी