हिन्दी है हम सेमीफाइनल "व्यंग " 'Poem in caption' लगता है चुनाव का बिगुल बजा गरीबों पे जो नजर पड़ा बेरोजगारी, गरीबी और विकास की बातें होने लगी करोडों की जो राहत राशि बँटने लगी कैसा चक्कर है सियासत का सारी समस्या जो अब दिखने लगी क्या विरोधी क्या दोस्त है सबके सब चोर इल्जामो और विकास का मचाते बस शोर