एक दिन जाना निश्चित है हम इतने मजबूर ना होते अगर प्रकृति से दूर ना होते,! विकास की अंधी दौड़ में, अगर इतने मगरूर ना होते,!! काटा जंगल, बांधी नदियां, बनाई फैक्ट्रियां हर ओर,! मशीनी-आवाज में दब गया, चहकते पंछियों का शोर,!! प्राणवायु को लील गई, कारखानों से आती काली धुंध,! रसायनों ने जहरीली बना दी,'जीवन-जल' की हर बूंद,!! संश्लेषित दवाओं ने कर दिया, प्रतिरक्षा- तंत्र कमजोर,! वायरस,बैक्टीरिया जनित रोगों पर,न चलता अब जोर,!! बदल गए ढंग खान-पान के, नई सभ्यता की पहचान,! खुद की प्रकृति समझ न पाए, और खूब पढ़े विज्ञान,!! समझ न पाए अपनी धरा को, मारी मंगल तक छलांग,! बेचैनी की खूंटी पर दिया, अपनी सुख शांति को टांग,!! सुखद भविष्य की आस में, किया पूरा वर्तमान बर्बाद,! जाल इतने बुन दिए, न कर सकते खुद को आजाद,!! दिमाग तेरा बहुत है, दुनिया दिमाग से नहीं चलती है,! सोचा नहीं होता तुम्हारा, तुम्हें यह बात क्यूँ खलती है,? एक दिन जाना निश्चित है, कितनी ही कर लो कूद-फांद,! मंदिर,मस्जिद,हॉस्पिटल जाओ; या दुबक के बैठो मांद,!! #truthoflife #selfishworld #acceptthetruth