"पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही । एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः ।।" ( चाणक्य नीति १४/३) धन, मित्र, स्त्री, भूसम्पत्ति, देश, राज्य― ये सब बार-बार मिल सकते हैं परन्तु मनुष्य-शरीर बार-बार नहीं मिलता। #चाणक्य_नीति मनुष्य जन्म दुर्लभ है।