ऐसे कितनी बातें दबाकर रखोगे कब तक सभी को लुभाकर रखोगे जियोगे क्या तुम भी औरों की तरह कब तक हुनर को छुपाकर रखोगे है खंज़र जो जंगों में मसरुक कबसे अब क्या खुदही को चुभाकर रखोगे है धर्मों की बहसें बहुत ही जरूरी और मंदी की बातें भुलाकर रखोगे