एक बुढ़िया थी उसके पास इक गुड़िया थी उस गुड़िये में उसकी जान थी दिल बहलाने का इक वो ही तो सामान थी आंख लग गयी एक रात जाने कैसे सो गयी खुली जो पलकें अचानक देखा गुड़िया खो गई मिली नहीं वो गुड़िया ढुंढा सारे जहान में थकी हारी जब लौटी वापस अपने दालान में देखा गुड़िया ज़मीं में गड़ी हुई है नब्ज़ भी चलती नहीं है हाय ये तो मरी हुई है समझ गई बुढ़िया गुड़ियां को छाती से लगा लिया जान गई उसकी गुड़िया को किसी हैवान की हैवानियत ने खा लिया ©Neha Mohan #हैवान #गुड़िया #blindtrust