चंचल मन सुकून नही इस चंचल मन मे , कुछ ख्वाब लिए मैं निकल चला हु, पल-पल कुछ तिनके जैसा कुछ ख्वाब मैं पूरा करने चला हु । क्या पता कुछ ख्वाब भी पूरे होंगे या फिर, अंधेरे की तम्मना लिए चला हु, धीरे-धीरे ही सही पर, कुछ ख्वाब तो पूरे करने चला हु । माना हर बार नही सही मैं, तो गलत क्यो हर बार हो चला हु, सुकून नही इस चंचल मन मे , कुछ ख्वाब लिए मैं निकल चला हु ढूंढने चला कोई पंछी जल को, उस तरह मैं जीने निकला हु , माना आसान नही जीना यहां पर, फिर क्यो पल-पल मरने चला हु। सुकून नही इस चंचल मन में, कुछ ख्वाब लिए मैं निकले चला हु। #hard work pay offs ❣️❣️❣️ #presenting you a very very finest poetry written by me #thankyou to all of my supporters love u all LoVe YoU # Raghav Yadav रोहित तिवारी #follow me if you like it ❤️😊😊😊