त्याग दो उस भोग को जो अभिमान अतीत का छीन ले विचार करो उस सत्य का जो स्वाभिमान की सीख दे हों दृढ़ी रहें निस्वार्थी निष्पाप हृदय परमार्थी है दिव्यता ये वेद की मन जले वो दिव्य ज्ञानदीप निज भाषा हो उपनिषद सी, तू गीता से भी सीख ले यदि शिष्य है तू अर्जुन सा मिले वो कृष्ण सारथी स्मरण रहे वो स्मृतियाँ और वेदांग का भी मान हो है धर्म क्या इस मर्म का परम् सत्य का तुझे भान हो हों प्रदीप्त तेरे ज्ञानचक्षु जो शिवयोग तुझे आधीन ले तू कौटिल्य सा गुरू है यदि तुझे चन्द्र की पहचान हो त्यागपूर्ण इतिहास से प्रज्ञानमयी एक सीख ले इस तन से तू स्वतन्त्र तब निज विचार शक्ति स्वाधीन ले त्याग दो उस भोग को जो अभिमान अतीत का छीन ले #yourquotedidi #Tyag #rashtra #sanskriti #bharat #HindiDiwas #Abhiman