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कठपुतली पूरी रचना अनुशीर्षक में .... एक दिन देखा

कठपुतली 

पूरी रचना अनुशीर्षक में .... एक दिन देखा खेल कठपुतली का
हँसती , गाती , नाचती , सजी-धजी 
कितनी ख़ूबसूरत लग रही थी ...

तभी मेरी नजर पड़ी उसके चेहरे पर
चेहरा उसका निश्तेज
शून्य को ताकती 
सूनी -सूनी सी आँखें उसकी
कठपुतली 

पूरी रचना अनुशीर्षक में .... एक दिन देखा खेल कठपुतली का
हँसती , गाती , नाचती , सजी-धजी 
कितनी ख़ूबसूरत लग रही थी ...

तभी मेरी नजर पड़ी उसके चेहरे पर
चेहरा उसका निश्तेज
शून्य को ताकती 
सूनी -सूनी सी आँखें उसकी