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हा थोड़ा उदास हूं वे साथ नहीं हैं हा थोड़ा परेशान

हा थोड़ा उदास हूं वे साथ नहीं हैं

हा थोड़ा परेशान भीं हूं वे 
मेरी परेशानी को पूछ नहीं रही है

हां थोड़ा बैचेन हूं वे बात नहीं कर रही है

हां थोड़ा सुकून भी नहीं है वे बहना ढूंढ रही
हम से दूर होने के

हां थोड़ा मायूस भी हूं की वे समझ ना सके मुझको

हां अब उनके जाने का माथम क्यों मनाएं हम
जो साथ हों के भी साथ नहीं थे 

हां अब उसके गम क्यों अपने सीने से लगाए हम
जिसके दिल मैं थे नहीं हम

हां हां हम उस के हाथों की कठपुतली बने हम 
जब चाहा अपना लिया जब चाहा छोड़ दिया 
                                             ( A.K.shaha)

©Ajay Kishor
  ठुकरा देना
ajaykishor4280

Ajay Kishor

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ठुकरा देना #कविता

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