सूरज की रोशनी से रोज़ नया सवेरा आता रहा उधार की रोशनी पर चांद यूं ही इतराता रहा सितारों के झिलमिलाने से पूरा आसमान जगमगाता रहा फिर क्यों भला इस जगमगाहट क्रेडिट हमेशा चांद को जाता रहा shikha thakre #moonlight shikha thakre shayri