हमारे हाथ में जो फूल है पत्थर न हो जाये किसी बेवा का आँचल, आंसुओं से तर न हो जाये दरख्तों को अगर काटो, इजाज़त लो परिंदों की अपना घर बनाने में कोई बेघर न हो जाये Written By PadamShri Dr.Sunil Jogi #SunilJogi_Poetry #Shushobhit_Poetry