बचपन और शैतानी मिलेंगे तुम से अगले जन्म ऐ मेरे बचपन के लम्हों जियेगें तुम्हें फिर से ऐ मेरे फुर्सत के लम्हों । खेलेंगे तुम्हारे संग फिर से ऐ मेरे दोस्ती के लम्हों । हम वो मासुम बच्चे ना रहे अब, जिम्मेदार आदमी हो चलें है। पापा के कंधों पर जो तय होते थे रस्ते अब वो अपने पांव पर तय करने चलें है । अब जिंदगी संजीदगी भरी है , संजीदा हम हो चलें है। बेफिक्री की पोटली उतार कर , फर्जों की गठरी ढो चले हैं। मिलेंगे तुम से अगले जन्म ऐ मेरे बचपन के लम्हों , कुछ जिम्मेदारियां निभाने को हम चले हैं । ©Milan Sinha #जिममेदारी #मासुमियत #संजिदगी #जिंदगी #Life_experience #life #family #frienship #Career #bachpan