( तस्वीर/पेंटिंग) कैनवास को, ब्रशो से जोतकर, उस पर प्रेम,वेदना, वात्सल्य,विरह,जैसे, अनगिनत रंगों को बोया जाता है। उसमें “ध्यान” और “संयम” का खाद डाल कर, उसे “धैर्य” से सींचा जाता है। तब जाकर, कल्पनाओं के बीजावरण में, मनोभाव को लिए, कैनवास पर, एक फसल लहराती है। और यह फसल, परिपक्व होने पर कहलाती है, “तस्वीर" © राहुल भास्करे ( तस्वीर/पेंटिंग) कैनवास को, ब्रशो से जोतकर, उस पर प्रेम,वेदना, वात्सल्य,विरह,जैसे, अनगिनत रंगों को बोया जाता है।