कहने को तो बहुत हैं , दुनियाँ मे यार तेरे । मिलेंगे अपनो के भेष मे यहाँ ,क़ातिल बहुतेरे। राहे-उल्फत मे अपना , सब कुछ लुटा कर , आज भी लगा रहे हैं , उसकी गलियों के फेरे। यूँ हुई ज़माने मे , रुसवा मोहब्बत , हक़ीक़त न समझा , उसने अश्क़ों को मेरे। अच्छा हुआ जो ख़ाक़ मे , तुमने मिला दिया , वरना कब तक निभाते , जनम -जनम के फेरे। खेलते रहे दिन रात वो , जज़बातों से, "फिराक़", हम गाते रहे वफा के गीत , साँझ-सवेरे ।। नमस्कार लेखकों! 🌺 आज का WOTD (Word Of The Day) — हकीकत or reality. 🌻दिए गए शब्द का अपने लेखन में प्रयोग किजिये। 🌻अपने लेखन को आप अपनी मर्ज़ी मुताबिक हिंदी या English में अभिव्यक्त कर सकते है। (Both Hindi and English are allowed.)