खुदा ही जाने क्यों वो हमें यार मिल जाते हैं, हम मिलना न चाहें तो भी हर बार मिल जाते हैं.......... हम दास्तान-ए-हिज्र भी लिखते हैं तो अक्सर, आखिर में कमबख़्त कैसे किरदार मिल जाते हैं.......... हम कहते हैं जब भी उनसे कि अब न मिलेंगे तो, सामने से आकर हमारे वो बार-बार मिल जाते हैं......... और हम पीछा छुड़ाना भी चाहें जब कभी उनसे, तो वो हमें किसी बहाने से सरे बाज़ार मिल जाते हैं......... ©Poet Maddy खुदा ही जाने क्यों वो हमें यार मिल जाते हैं, हम मिलना न चाहें तो भी हर बार मिल जाते हैं.......... #GodKnows#MeetUp#Story#Seperation#Charactors#End#GetRid#Market..........