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धर्म अभी जिन्दा है, ईमान अभी जिन्दा है आदमी के अन्

धर्म अभी जिन्दा है, ईमान अभी जिन्दा है
आदमी के अन्दर, इक इंसान अभी जिन्दा है
सच के दाम में झूठ, बिक रहा है, मगर, 
सच में सच के, कद्रदान अभी जिन्दा हैं
मारकर विश्वास रिश्ते, बेहया हो रहे, फिर भी
रिसते हुए रिश्तों के, समाधान अभी जिन्दा हैं
पैसे की अट्टालिकायें, बना रहे खूब, लेकिन
पैसे पे प्रेम की, पहचान अभी जिन्दा है
गुरूर इल्म पे, कर रहें हो विपिन, लेकिन
पढ़ा से कढ़ा अच्छा, उनवान अभी जिन्दा है
-विपिन कुमार सोनी 18.06.2016 #zindahai
धर्म अभी जिन्दा है, ईमान अभी जिन्दा है
आदमी के अन्दर, इक इंसान अभी जिन्दा है
सच के दाम में झूठ, बिक रहा है, मगर, 
सच में सच के, कद्रदान अभी जिन्दा हैं
मारकर विश्वास रिश्ते, बेहया हो रहे, फिर भी
रिसते हुए रिश्तों के, समाधान अभी जिन्दा हैं
पैसे की अट्टालिकायें, बना रहे खूब, लेकिन
पैसे पे प्रेम की, पहचान अभी जिन्दा है
गुरूर इल्म पे, कर रहें हो विपिन, लेकिन
पढ़ा से कढ़ा अच्छा, उनवान अभी जिन्दा है
-विपिन कुमार सोनी 18.06.2016 #zindahai