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जिस घर का एक एक कोना आपकी ना जाने कितनी यादें समेट

जिस घर का एक एक कोना आपकी ना जाने कितनी यादें समेटे हो, उस घर को, उन गलियों को जहाँ बचपन जिया हो, हमेशा के लिए अलविदा कहना आसान कहाँ होता है। वो गाँव, वो गलियाँ, वो अपना घर छूटने का दर्द एक दिल टूटने के दर्द से कम कहाँ होता है। ना दीवार दरके, ना दिल टूटे, ना घर छूटे किसी का।

©पूर्वार्थ #mera_shehar
जिस घर का एक एक कोना आपकी ना जाने कितनी यादें समेटे हो, उस घर को, उन गलियों को जहाँ बचपन जिया हो, हमेशा के लिए अलविदा कहना आसान कहाँ होता है। वो गाँव, वो गलियाँ, वो अपना घर छूटने का दर्द एक दिल टूटने के दर्द से कम कहाँ होता है। ना दीवार दरके, ना दिल टूटे, ना घर छूटे किसी का।

©पूर्वार्थ #mera_shehar