सुनो ओ ज़िंदगी! मैं तुमसे प्यार की मिन्नते लेकर आया था, पर तुम्हें स्वीकार नहीं, तो जा रहा हूँ बिन कुछ कहे,बिन कुछ सुने,चुप-चाप खामोशी में।। @@rejection of love##@@