जो स्वर ज़हन में गूंजतें हैं रात-दिन, कौन ही देता उन्हें आवज तुम बिन! जो तुम्हारे कंठ से निकला हर कंठ ने गाया, इतना सुरीला-सुमधुर कोई पहले नहीं आया।— % & #yqsavar #yqjahan #yqaavaj #yqraat #yqdin #yqsaumitr