काश ऐसा होता मैं उस दिन वहां गया ही ना होता.
काश वह दिन साल के उस कैलेंडर में आया ही ना होता, तो शायद हमारी मुलाकात भी ना होती.
काश मैंने उस दिन तेरे उस क्यूटसे एक्सप्रेशन पर ध्यान दिया ही ना होता. काश मुझे ना तू ना तुझसे हुई मेरी पहली मुलाकात याद होती है.
काश मैंने तेरी जो सोच थी उसको नजरअंदाज किया ही ना होता.
काश मैंने मेरे सोकल फ्रेंड्स की बात सुन ली होती.
काश मैं भी औरों की तरह लोगों को उनके रंग, रूप, जात या मजहब के तराजू में तौल पाता.
काश मेरी सारी गलतियां सिर्फ मेरी गलतियां और तेरी सारी गलतियां भी मेरी गलतियां ना होती.
और काश मुझे तुझसे मोहब्बत ना होती तो शायद मैं अपना आत्मस्वाभिमान ना खोता, शायद मैं तेरे द्वारा मुझे दिए गए दर्द ना सहता और आज मैं शायद ना रोता ना अपने आंसू यूं ना पोछता. #poem