हक़ीक़त से कुछ सपने लेकर... कभी चोरी किये कभी बुनता रहा, मैं यूं एक चोर बनके घूमता रहा, आंख का आंसु संग में लेकर... कभी सजदे किये कभी सुलगता रहा, मैं यूं एक आग बनके जलता रहा, होंठों पर बस एक ही नाम लेकर... कभी याद किया कभी अपनाता रहा, मैं यूं एक शोर लफ्ज़ का बनके घूमता रहा... मैं यूं एक शोर लफ्ज़ का बनके घूमता रहा...।। #दर्द #शोर #लफ्ज़